"मुक्तक"

"मुक्तक"


बस यूँ ही टहलते रह गए।
प्रतिपल राह तकते रह गए।
वो चले कहाँ घर से अपने-
हम इं'तजार करते रह गए।।


महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी


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