जब दर्द का प्याला छलका था।
आकाश में बादल हलका था।
अभी रात कहरती है जगकर-
क्या दिवस ने मारा झटका था।।
मत छुपा शूल कैसा भी हो।
मत तोड़ फूल कैसा भी हो।
छोटी सी खुशी बहुत प्यारी-
मत उड़ा धूल कैसा भी हो।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी
जब दर्द का प्याला छलका था।
आकाश में बादल हलका था।
अभी रात कहरती है जगकर-
क्या दिवस ने मारा झटका था।।
मत छुपा शूल कैसा भी हो।
मत तोड़ फूल कैसा भी हो।
छोटी सी खुशी बहुत प्यारी-
मत उड़ा धूल कैसा भी हो।।
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी