कोरोना की आघात से,
पूरा विश्व दिया है रोय,
त्राहि - त्राहि करते सभी,
धीरज आपा खोय।
किसान, श्रमिक, व्यापारी,
आज सभी हैं त्रस्त,
जाने कब इस त्रासदी का,
उदयन होगा अस्त।
मर रहे हैं आज लोग,
कितना है हाहाकार,
लाकडाउन की घड़ी में,
चौपट है सारा कारोबार।
फिर भी रखें धैर्य - धीर,
समय की है यही पुकार,
सेवा-सहयोग करें परस्पर,
शासन सत्ता भी है तैयार।
पालन करें हर नियम का,
पूर्णतः करें सभी स्वीकार,
सुखी-सुरक्षित रहे हर कोई,
कोरोना का होगा बंटाधार।।
कवि कमलाकर त्रिपाठी.