विजय कुमार मिश्रा
मेरा कलेजा फटता है जब मैं देखता हूं कि मेरे लिए मन मे गहरी घृणा का भाव लेकर,हाथों को दस्तानो,पैरों को मोजों ,और तो और,पूरे शरीर को प्लास्टिक के कोट से ढक कर जीवित रहते मुझको छूने वालों और मरने के बाद मेरे मृत शरीर से भी दुर्व्यहार करने वालों को आज के दिन कॅरोना योद्धा की संज्ञा से विभूषित कर जगह जगह पलक पावड़े बिछाए जा रहे है।कोई फूल बरसाता है,तो कोई थाली और चमचा बज रहा है,मोमबत्ती तो सभी जला दे रहे है।अरे नामुरादों,ये योद्धा कब के हो गए?शहीद तो मैं हूं, सम्मान का हकदार भी।कॅरोना के अचूक बाणों को सीने पर मैने झेला और खेत रहा।हिम्मत जुटा सको तो देख लेना,ये बाण मैंने पीठ पर नही सीने पर खाये हैं।अगर मैं न होता तो क्या तुम अपने वजूद की कल्पना भी कर सकते थे।
खैर,गैरों की तो छोड़ो,मेरे अपने कहे जाने वालों ने भी आखिरी समय मे मरने से पहले ही मुझसे नाता तोड़ लिया।जरूर आज मेरे द्वारा छोड़ी गई संपत्ति का हिसाब किताब लगा कर बंटवारे की जुगत में लगे होंगे।मुझसे मरने के पहले ही नाता तोड़ लिया और चूतिया बनाने के लिए कहने लगे कि क्वारन्टीन कर दिया।ये क्या होता है भई?कम से कम चलती चलाती की बेला में तो कोई भला सा हिंदी या संस्कृत नाम दे देते,जिससे किसी संस्कार की बू आती हो।मरने, नही नही शहीद होने बाद भी मेरी आत्मा कई घंटों तक मेरी मिट्टी के इर्द गिर्द चक्कर काटती रही।मैंने साफ देखा कि जिसने सात जन्मों तक साथ निभाने की कसम आग जला कर उसके सामने ली थी,जो पिताजी कहते न अघाते थे,किसी ने जीजा किसी ने फूफा,किसी ने साला समधी बना कर गले लगाया था वह आज जरूरी(गैर जरूरी)डिस्टेंस मैन्टेन कर रहा है।चार कंधे भी नही दिए इन बेईमानों ने।एम्बुलेंस बुलाया और उस पर मुझे ऐसे लोड किया जैसे नगरपालिका की कूड़ा गाड़ी पर कूड़ा लोड करते हैं।कहीं मेरा स्पर्श न हो जाय।श्मशान घाट ले जाकर एम्बुलेंस से ही मशीन की सहायता से मुझ शहीद की मिट्टी को इस तरह उछाला कि वह सीधा विद्युत शवदाह गृह के प्लेटफॉर्म पर धड़ाम से गिरा।कितनी वेदना हुई,कहाँ कहाँ चोटे आयी यह तो मैं जानता हूं।चंद लकड़ियां भी नही मिली जिसका घाव सीधे कलेजे पर लगा है।यहां से छूट कर सबने खुद को क्वारन्टीन कर लिया है,अब ये लोग 14 दिन बाद निकलेंगे जब मेरा काम किरिया भी बिल्कुल बिगड़ चुका होगा।मैंने शहीद होकर जिनको हीरो बनने की वजह दी वो आज पूजे जा रहे हैं।जरा सोचो तो,मैं न होता तो ये लोग होते क्या?मेरी वजह से लोग सड़कों और आकर फ़ोटो खिंचा कर अपार प्रसिद्धि पा रहे है,राजनेताओं के नाक के बाल बन रहे,अनाज पानी रुपया पैसा सरकार से और पब्लिक से दुलार पा रहे।इन सबके बीच मेरी चर्चा भी नही।यह घोर अत्याचार है।मैं आऊंगा और पूरा हिसाब लूंगा।इन्तजार करो दुष्टो।चलता हूं।