जीतेंगे हम जंग ऑनलाइन कवि सम्मेलन 

 


 


 



आगमन सरगुजा छत्तीसगढ़ के तत्वाधान में दिनांक 25/05 /2020 को शाम 4:00 बजे से ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया इसमें आगमन के सरगुजा,  बिलासपुर तथा रायपुर के सदस्यों ने भाग लिया ।आगमन संस्था ख्याति प्राप्त अंतर्राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था है। यह विविध गतिविधियों के द्वारा  छुपी प्रतिभाओं को उजागर करने का कार्य करती है ।इसी कड़ी में ऑनलाइन कवि सम्मेलन बहुत ही सुंदर आयोजन रहा। इस कार्यक्रम में अध्यक्ष के पद पर आगमन के राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय पवन जैन जी, मुख्य अतिथि आदरणीय शोभा चा, हिल जी विशिष्ट अतिथि आदरणीय उमेश कुमार पांडे जी एवं आदरणीय हीरा सिंह चाहिल जी रहे ।मार्गदर्शक के रूप में आदरणीय मन्शा शुक्ला जी ,आदरणीय पूनम दुबे जी एवं आदरणीय सुनील दत्त मिश्रा जी रहे ।कार्यक्रम की खूबसूरत शुरुआत पारंपरिक तौर पर सरस्वती माँ के माल्यार्पण एवं सरस्वती वंदना से की गई। सरस्वती वंदना आदरणीय पूनम जी के द्वारा  मधुर कंठ से  प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम की सफलता उसके संचालन करता पर निर्भर करती है बहुत ही खूबसूरती से संचालन का दायित्व रश्मि लता मिश्रा जी एवं आशा पांडे जी वअनिता मंदिलवार सपना जी ने निभाया। इस कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति नलिनी बाजपेई जी जो संबलपुर कांकेर छत्तीसगढ़ से आती है उन्होंने अपनी रचना मुफलिसी में कभी खामोशी से बहन बेटी की डोली  जो उठती ,सारा जहाँ इस पल का शुक्र मंद होता ।कोई धड़कन न कोई साँसें जो रुकती, हर कोई हर एक का फिक्र मंद जो होता। बहुत सुंदर मनमोहक पंक्तियाँ। आपने समाज के दायित्वों को निभा रही नारी जाति के सम्मान में बहुत ही सुंदर प्रस्तुति दी ।आदरणीय भगतसिंह विहंस जी जो अंबिकापुर से है उन्होंने कहा जा के नदिया किनारे, जो घरौंदे हम तो बनाते, पल में वह बन जाते दूजे पर वह ढह जाते ।आप जाने-माने वरिष्ठ साहित्यकार है। विभिन्न साहित्य गतिविधियों में आपका योगदान रहता है ।आपकी रचनाएँ बेहद उच्च स्तरीय हैं ।
 शोभा त्रिपाठी शैव्या जी बिलासपुर से हैं इन्होंने भारत माता का गुणगान करते वीर शहीदों पर अपनी रचना प्रस्तुत की। उन वीर सपूतों के पथ पर मैं फूल बनूँ और बिछ जाऊँ और कभी सुगंधित बन बयार उनके सांसों में बस जाऊं ।देश भक्ति से ओतप्रोत खूबसूरत रचना।
 सीमा निगम जी रायपुर छत्तीसगढ़ से है इन्होंने वर्तमान हालात पर आधारित प्रस्तुति दी। भारत फिर से मुस्कुराएगा कोरोना हार जाएगा। कोरोना पर बहुत सुंदर संदेश देती आपकी रचना जो समाज को शिक्षा और मनोबल प्रदान करती है।
 अनिता मंदिलवार सपना अंबिकापुर से यह वरिष्ठ साहित्यकार साहित्य साधना में समर्पित हैं। कई वर्षों से लगातार साहित्य क्षेत्र में सेवाएँ देती रही है। इनकी रचना आँसू मेरे मेरा परिचय, अमलतास सा अभिनंदन। सूरज अभी दिखता नहीं, दुख का बादल है छाया। की अनुपम प्रस्तुति दी।
 डॉक्टर बीना सिंह जी जो भिलाई से हैं इन्होंने कोरोना वॉरियर्स पर चँद पंक्तियाँ हम क्यों अपनी जिद पर अड़े हैं और वे डर कर जमकर खड़े हैं ।क्या लगते हैं मेरे, कोई खून का रिश्ता तो नहीं। की बहुत संवेदनशील पंक्तियाँ आपने पढ़ी। बहुत ही शिक्षाप्रद, प्रेरक ,समाज को दिशा प्रदान करती आपकी स्तरीय रचना।
 सुनील दत्त मिश्रा जी आप बिलासपुर से हैं बहुत सरल विनम्र स्वभाव , प्रतिभावान फिल्म क्षेत्र से जुड़े हैं ।अपने व्यस्ततम जीवन से समय निकालकर आपने काव्य की अनुपम प्रस्तुति दी। मैं पथ का राही हूँ न समझो सुस्ताऊँगा ।अपने मन से खातिर आगे बढ़ता जाऊँगा। पूरे जोश और हौसलों की ऊँची उड़ान का संदेश देती आपकी रचना और प्रस्तुतीकरण शानदार।
 मन्शा शुक्ला जी अंबिकापुर से है आपने कृष्ण भक्ति पर बहुत सारे सृजन किए हैं। आपकी एक अलग छवि, अलग पहचान है आप की पंक्तियाँ भारी है भीड़ लाखों की, कोई अपना नहीं दिखता। कहूँ किससे व्यथा मन की, सुनाऊँ हाल किसको में ।भीड़ विषय पर बहुत सुंदर आपकी प्रस्तुति।
 वर्षा अवस्थी जी बिलासपुर से हैं आपने जिंदगी है तो चुनौतियां भी आएँगी ,चुनौतियों के साथ नया रंग-रूप लाएंगी। चुनौतियाँ शीर्षक पर अद्भुत भावपूर्ण प्रस्तुति।
 अनिता शरद झा जी रायपुर से हैं आप वरिष्ठ साहित्यकार तन मन धन से साहित्य को समर्पित आप लेखक की कलम से शीर्षक पर बहुत सुंदर सृजन किया और प्रस्तुतीकरण भी शानदार।आपने कहा ममता के उद्गारों से दिलों में रहना चाहती हूँ। चाँद में घर बसाना चाहते हूँ, हां फिर से इस धरती को स्वर्ग बनाना चाहती हूँ।सुन्दर कल्पना। 
 पूनम दुबे जी अंबिकापुर से आप साहित्य और संगीत के क्षेत्र में एक बड़ी हस्ती है ।आपके कंठ में सरस्वती माँ विराजमान रहती हैं इसलिए आप का उपनाम भी वीणा है ।आपने उलझन शीर्षक पर सुंदर गीत तेरी प्रीत को दिल में लिए उलझी रही। कुछ उलझन मैं बाँट सकूँ न दिल की बातें अच्छी भली थी बचपन में भावपूर्ण गीत संवेदनाओं को व्यक्त करती सुंदर  प्रस्तुति।
  वंदना डे जी अपने  साथी हाथ बढ़ाना साथी रे ,संकट की घड़ी आई मिलकर है सुलझाना ।एक अकेला थक जाएगा मिलकर कदम बढ़ाना। साथी हाथ बढ़ाना ।इन प्रेरक पंक्तियों से काव्य गोष्ठी की रौनक बढ़ा दी। 
 सावित्री मिश्रा जी केसरिया शीर्षक पर केसरिया रंग त्याग और बलिदान का, मातृभूमि के गर्व और अभिमान का यह रंग वीरों की शौर्य गाथा सुनाता। देश के शहीदों का कफन बन जाता पंत्तियों से देश प्रेम का परिचय दिया। 
 *प्रियंका त्रिपाठी जी शहडोल मध्य प्रदेश से हैं आपने बहुत ही सुंदर गजल की प्रस्तुति दी।बहक जाती हूँ मैं अक्सर सँवर जाती हूँ। मैं हर दिन तेरी यादों के घेरे में ठहर जाती हूँ मैं हर दिन बेहतरीन प्रस्तुति आपकी ।
 कृष्ण शरण पटेल जी आपने भी बहुत सुंदर ग़ज़ल की पंक्तियों से महफिल रोशन किया तुझे रब से मैंने माँगा ,तू कहे तो खुदा से मिला दूँ। मैंने कितना तुझको चाहा, तू कहे तो मैं सुना दूँ। बेहतरीन प्रस्तुति आपकी।
  डॉ अपर्णा मिश्रा जी आपकी खूबसूरत पंक्तियाँ मंदिर गई थी शीश नवाने कुछ श्रद्धा के सुमन चढ़ाने ।हाथ गिरा एक पुष्प थाल से झुककर लगी मैं उसे उठाने ,की अनुपम प्रस्तुति दी ।
अर्चना पाठक निरंतर अम्बिकापुर से ने भ्रूण हत्या पर कविता हैवानियत की हद तो देखो बार बार है, इंसानियत को कर रहे तार तार है। की मार्मिक  प्रस्तुति दी।


 रोशनी दीक्षित बिलासपुर से है आप कवि सम्मेलन के दौरान अपने सुंदर-सुंदर पंक्तियों से बीच-बीच में हौसला अफजाई करती रही हैं ।आपकी यह पंक्तियाँ बहुत खूबसूरत। इतनी औकात नहीं मेरी कि माँ के बारे में कुछ लिख सकूं जो शब्दों से भी परे हैं उसके बारे में क्या लिखूँ ऐसे ही कई आपने जो दिल को छू लेने वाली थी आपकी ऑनलाइन कवि सम्मेलन में प्रस्तुति असंभव को संभव बना डालें ऑनलाइन टीचिंग मजबूरी नहीं क्यों नहीं इसे सुनहरे अवसर में ही बदल डाले ।सभी शिक्षकों को समर्पित संदेश परक खूबसूरत रचना। 
 शोभा चाहिल जी बिलासपुर हमें हर दुआ से मिला है सहारा इन्हीं से संवारा है जीवन हमारा ।की अद्भुत प्रस्तुति मनमोहक ।
 हीरा चाहिल जी माँ के नाम पर आपने कुछ विचार रखें ।माँ के ही रूप में परमात्मा भी रहता है इस धरती में ।मां के ही सहारे से आता, परमात्मा तक इस धरती में ।माँ पर अद्भुत पंक्तियाँ।


 उमेश पांडे जी अंबिकापुर से हैं वो दिन बड़े याद आते हैं कभी गांव की पगडंडियाँ तो कभी शहरों की गलियां। देर से सोना देर तक सोना ,कुल्ला दातुन बिना खेलना और खाना ।अपनी पुरानी यादों से श्रोताओं को यह पुराने दिनों में आप ले गए ।बेहद लुभाने वाली आपकी रचना ।
 रश्मि लता मिश्रा जी आप आगमन की  प्रदेश अध्यक्ष हैं जा लुटाते रहे तुम ना आए पिया। खाक होता रहा दिल जलाए पिया । आशिकी आपकी है लगे जालिमी।आप हमको इस कदर सताए पिया। सुंदर गजल बेहतरीन प्रस्तुति। 
 डॉक्टर ज्ञानी दास मानिकपुरी जी सुंदर उद्बोधन सहित बेहद खूबसूरत रचना कबीर के दोहे के रूप में आपने प्रस्तुत किया बोली एक अनमोल है, जो कोई बोलै जानि, हीये तराजू तोलि के, तब मुख बाहर आनि शब्दार्थ के साथ अद्भुत प्रस्तुति।
 मयंक मणि दुबे जी आप बिलासपुर से हैं और बहुत बेहतरीन साहित्य सृजन आपका गहन तमस है दूर सवेरा ,पथ में दीप जलाए कौन। आशाओं पर प्रश्नचिन्ह है मन को धीर बँधाए कौन।अद्भुत। 


 फरजाना जी बिलासपुर से दिल के जख्म शीर्षक से बहुत सुंदर आपकी रचना तेरी भोली सूरत ने दीवानी बना दिया मुझको, मोहब्बत करने का सलीका सिखा दिया मुझको  । सबीना जी आपकी बेहद खूबसूरत पंक्तियाँ बेबस दिल को दुखाया न करो, तन्हा रह कर भी कुछ हासिल तो ना होगा चुपके-चुपके यूं अश्क बहाया ना करो ।बहुत सुंदर ।
 पूजा अग्रवाल अग्र जी आगरा 
 पालघर की घटना को रचना में ढाला सैकड़ों की भीड़ आई कैसे ,लठ बना हथियार क्यूँ। एक अंधेरा रात में तीन निहत्थों पर वार क्यूँ मार्मिक रचना ।प्रश्नचिन्ह छोड़ती, चिंतन को मजबूर करती बेहद मार्मिक ।
 संतोष दास सरल जी आप अंबिकापुर से हैं आपकी प्रस्तुति बहुत ही खूबसूरत व सुमधुर है ।फरिश्तों की भीड़ में इंसान ढूंढता हूँ। पागल हूँ मैं उसका पता मकान ढूँढता हूँ। बेहद संवेदनशील मर्म को हृदय तक पहुँचाती है। सारिका मिश्रा जी अंबिकापुर से हैं पर्यावरण संरक्षण के तहत मृदा संरक्षण पर छत्तीसगढ़ी गीत की मधुर मधुर प्रस्तुति दी। जतन करो धरती के संगी जतन करो रे ,जतन करो भूईंया के संगी जतन करो रे ।गीत से शमाँ बाँधा।
 
अंत में राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय पवन जैन जी के सुंदर उद्बोधन से मंच अभिभूत हो गया ।उनके उत्साह वर्धन से सभी सुधि कवि ह्रदय में रस की सरिता बह उठी। उन्होंने सभी सम्मानित सदस्यों एवं रचनाकारों का हृदय से आभार व्यक्त किया।
 रोशनी दीक्षित जी ने ऑनलाइन कवि सम्मेलन के दौरान अपने शेरों से महफिल को बाँधे रखा ।बेगाने बनकर आए थे हम इस महफिले तरन्नुम में। पता भी न चला और अपने होते गए सब इस महफिले वजूम में। 
आज का ऑनलाइन कवि सम्मेलन आदरणीय रश्मि लता मिश्रा जी, आशा पांडे जी एवं अनिता मंदिलवार जी के कुशल संचालन में संपन्न हुआ। किसी भी कार्यक्रम की सफलता संचालन कर्ता के हाथ में होती है जो आप तीनों ने बखूबी निभाया। सभी ने अनुशासित ढंग से कार्यक्रम संचालन में सहयोग दिया ।समय-समय पर उत्साहवर्धन से कवि सम्मेलन में आप सभी ने जान फूँकी। ऐसे सुंदर आयोजन से समाज को नई दिशा मिलती है। रचनाकार को मंच मिलता है और ऐसे कार्यक्रम भविष्य में होते रहेंगे इसी कामना के साथ सभी को बधाइयाँ तथा शुभकामनाएँ।
 समीक्षा प्रस्तुति 
अर्चना पाठक निरंतर


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