हमारी स्मृतियों की महक...

 



स्मृतियों की महक
बड़े कमाल की होती है
बिखर जाते है
जीवन के कई रंग
रूप और काया
बस न बिखेरती
इन स्मृतियों की खुशबू….


वे सदैव ही..
रचती बसती है
अपनी ही अलग
दुनियाँ के पैमानों में..


कभी चांद तो कभी चकोर बनकर
कभी ओस तो कभी धुल बनकर
 कभी दीया तो कभी बाती बनकर


 कोई एक लम्हा..
 अच्छे बुरे  पल...
भुलाए नही भुलता...
जब अपने प्रिय जन की याद..


हँसाती रुलाती और


दिल को बहलाती हुई सी
किसी गंगा से निर्मल
अश्रु धारा की सैर कराती है


वह पल...किसी 
अमृत रस से कम नही होता
बल्कि...अनुभूति होती है
माँ के स्तन से टपकते
दूध की...


जो उसके गर्भ में
धारण करते ही
अनायास ही आ जाते है...


ऐसी ही होती है..
हमारी स्मृतियों की महक....


नीलम बर्णवाल


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