दिल की आवाज़

लफ्ज़ खोने लगें अपने माने जहाँ
फिर वहाँ ठीक होती हैं ख़ामोशियाँ


मसअले दिल के आपस में सुलझा लें हम
तूल देने से बढ़ जाएगी दूरियाँ


हिज़्र में उनके, काजल बिखरने लगा 
और  उड़ने लगी रूप की शोखियाँ
 
लब तो ख़ामोश रह कर सिसकते रहे
शोर करने  लगीं  हैं  मगर  चूड़ियाँ


वक़्त रहता नही है सदा ऐक सा
मुस्कुराहट कभी है कभी सिसिकियाँ


रोते रोते  दुआ तुझको देता है दिल
हों मुबारक तुझे  मेरी  बरबादियाँ


कांची सिंघल "ओस"


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