बेटी को अभिमान बनाओ


बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ,
जन जन का अभियान बनाएं।
युगों-युगों से पूजित बेटी,
बेटी को सम्मान दिलाएं।
नई दौर हो बेटी का अब,
बेटी को अभिमान बनाएं।
वैदिक युगों से भारत की,
पहचान रही है बेटी।
सिता सावित्री अनसुईया,
सबरी श्वेता काली मईया।
युगों-युगों से पूजित बेटी,
बेटी की गुणगान सुनाएं।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ,
जन जन का अभियान बनाएं।
नई सोंच हो नई चेतना,
बदला हो सबका जीवन।
नव युग में ना पर्दा बुर्का,
ना तलाक़ ना गर्भ परीक्षण।
हो बेटा-बेटी सब समान,
सबकी हो पूरी संरक्षण।
नई दौर हो बेटी का अब,
बेटी को पहचान बनाएं।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ
जन जन का अभियान बनाएं।
बेटी की किलकारी पर अब,
सोहर गीत बधैया हो।
बेटी जन्मे घर घर अब,
मन की दूर बलैया हो।
बेटी भार ना बनें किसी को,
बेटी हो आधी आबादी।
बेटा इक कुल का दीपक है तो,
बेटी है दो कुलों की थाती।
चुल्हा चौका हीं ना केवल,
बेटी की पहचान बनाएं।
नई दौर हो बेटी का अब,
बेटी को पहचान बनाएं।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ,
जन जन का अभियान बनाएं।
_________________________
           ✍️
जन्मेजय कु०पाण्डेय (गुरु जी)
ग्राम शिवनगरी
थाना मुफस्सिल
छपरा बिहार।


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