" बेटा माँ का राजदुलारा है
बाप के कंधे का छाया है
बेटा है तो जिंदगी का
हर क्षण का' शरमाया' है
बेटा के रहने से जगमग है
जीवन की कंटीली राहें भी
और चमकती साँसों का तो
जैसे ज्योत है आहों की
तुम सम्पूर्ण हो जग जीवन
हो नहीं अपूर्ण, बनो बन्धन
तुझसे कुल मेरा रौशन है
हो गयी हूँ अब मैं धन-धन
तू संघर्ष मेरा ,उत्कर्ष मेरा
तू राग गीत विमर्श मेरा
तुझसे जीवन-ज्योत जले
तू अपकर्ष बने नहीं मेरा
माँ की आँख का तारा है
बहन का राजदुलारा है
तू है तो गूंजे घर अँगना
बाप के सिर अब धारा है
तुझे पुकारे नन्हीं उंगली
तुझे सहेजे चूड़ी- बिंदी
तू तो है सिंदूर किसी का
तुझसे है सबकी जिंदगी
तू तो निराधार नहीं है
तू तो आधार सभी है
तप्त हृदय की जवाला है
तू तो निराकार नहीं है
ओ जीवन--धन तू दीप्त है
रखवाले ,तू नहीं सिक्त है
आँख उठाओ सब पास खड़े
तू कैसे अनभिज्ञ है ?
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डॉ मधुबाला सिन्हा
मोतिहारी,पूर्वी चंपारण
9470234816
"बेटा"