अभी कई कर्ज चुकाना बाकी है

आहिस्ता चल ज़िंदगी....


अभी कई कर्ज चुकाना बाकी है......


कुछ दर्द मिटाना बाकी है....


. कुछ फर्ज निभाना बाकी है....


रफ्तार में तेरे चलने से....


कुछ रूठ गए कुछ छूट गए....


. रूठों को मनाना बाकी है....


रोतों को हंसाना बाकी है....


कुछ रिश्ते बनकर टूट गए....


कुछ जुड़ते-जुड़ते छूट गए.....


उन टूटे -छूटे रिश्तों के......


ज़ख्मों को मिटाना बाकी है.....


कुछ हसरतें अभी अधूरी है....


कुछ काम भी और जरूरी है.....


जीवन की उलझ पहेली को.....


पूरा सुलझाना बाकी है........


जब साँसों को थम जाना है.....


. फिर क्या खोना क्या पाना है......


पर मन के जिद्दी बच्चे को.......


यह बात बताना बाकी है......


आहिस्ता चल ज़िंदगी अभी.......


कई कर्ज चुकाना बाकी है.......


कुछ दर्द मिटाना बाकी है......


कुछ फर्ज निभाना बाकी है........!!  


   डाॅ0 अनीता शाही सिंह  


  इलाहाबाद (प्रयागराज)    28/5/2020


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