...…चलत रहे उनकर परीक्षा ,
........मन में हमरो रहे इक्षा ।
तबले फोनवा उनकर आइल ,
जियरा हमरो खूब धधाइल।
बहाना हमरो अब बनावे के परी ,
चिट उनका के पहुंचावे के पारी ।।
.........उ ट्रेन पकड़ली धावल ,
.....…मन हमरो ना रह पावल ।
हमहुँ बाइक तेज चलवनी,
घरे हेल्मेट छोड़ के गइनी ।
बुझाईल अब चालान भरे के परी,
चिट उनका के पहुंचावे के परी ।।
हम त बुझनी पानी में मेहनत गइल ,
तले कॉलेज के गेटे पर नू भेंट भइल ।
........कहली निमन कइनी ह आके ,
..........आ अब जाइब चिट धराके ।
कुछ पावे खातिर मेहनत करके परी,
चिट उनका के पहुंचावे के पारी ।।
लगे बइठनी हम पढनिहार के ,
चिट लिखाईल खूब सरिहार के ।
......जंगला से ऐने ओने तकनी ,
कोना में लउकल उनकर ओढ़नी ,
चिट पावे खातिर हाथ हिलावे के परी ।
......चिट उनका के पहुंचावे के परी ।।
चिट बेंच के नीचे दिहनी फेंक ,
तसहीं पुलिस लिहलस देख ।
पकड़े के चहलस उ दउरा के ,
......भगनी हमहुँ मन बना के ।
बुझाई गहुँ केहू के लासारे के परी,
चिट उनका के पहुंचावे के परी।।
..........उ दउरे खेत के कगरी ,
....हम लसरनी फसल सगरी ।
जसहीं ओकरा से पीछा छूटल ,
ओने से खेतवाह के बात छूटल ।
" कवन ह मय खेत लासार दिहलस "
बुझाइल कहीं देंह छुपावे के परी ,
चिट उनका के पहुंचावे के परी ।।
सोंचनी फेरु मन बना के जाईं ,
तले चिल्लाईल केहू माई माई ।
पूछनी का भइल ह भाई ,
कहले जम कइलस कुटाई ।
मन के बात मने में छुपावे के परी,
चिट उनका के पहुंचावे के परी ।।
✍️
शैलेन्द्र कुमार तिवारी
सिंगरवा , अहमदाबाद
गुजरात ।