उड़ली चिरईया भईली पराई हो

 



केकरा से कही रमा 
उडली चिरैया  हो 
गाँवों हमर छोड़ दिहली
भईली पराई हो
रामा हे रामा-------


 अठरस बरस का संगवा 
  छुटल  हमार हो
मोरे सुगनी,छोड दिहली
    अगना हमार हो
भईली पराई हो-------  
 भोरवे उठ फुदकते रहली
अंगना चारो भांवर हो
चिहिचिहि गुंजे उनकर
मधुरी अवजिया हो
 अब त सुना सुना भईले
  अगनवा हमार हो
   रामा हे रामा----------


तोहरा बिनु मंदिरवो भी
भईले सुना सुना हो
 भोला भईले देखा त
 केतना उदास हो
 सखियाँ सहेलियां छुटली
छुटल बचपनवा हो 
चिरईया त कईली 
परदेसवा उजियार हो
 हमरे अंगनवा भईले 
घोर अंधियार हो
रामा हे रामा -----------


करेजवा क टुकड़ा हई 
हमरे चिरईया  हो 
ज़ियरा त  हमरी लगवा
 धड़कन परदेश हो
उडली चिरईया -------------
गाँव हमर छोड दिहली
भईली पराई हो------
अपना के कैसे मनाई
जब जियरा बा अधीर हो 
ये हमरो चिरईया 
उड़ली परदेस हो------
रामा हे रामा ----------
गमछा से आस पोछ
बाबुल दिहल अशिष हो 
 जवन बगवा गईली चिरईया
  तवन बगवा बहार हो 
  माई क अचरा सादा 
   देवें अशिष हो 
  जहाँ रहा ये चिरईया
   सादा खुशहाल हो
रामा हे रामा---------



रचनाकार -आशा उमेश पान्डेय
         अम्बिकापुर छग


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