साहित्यिक परिचय : बिजेंद्र कुमार तिवारी

 



चर्चित नाटक 'बाबुल मत करो विवाह' (हिंदी) और 'भोटबेंचवा' (भोजपुरी) के लेखक, प्रसिद्ध एंकर, कवि व गीतकार बिजेंद्र कुमार तिवारी(बिजेंदर बाबू) का जन्म सारण जिले के मांझी प्रखंड अंतर्गत गैरतपुर गांव में 1981 ईस्वी में हुआ था। इन्होंने आकाशवाणी व दूरदर्शन के विभिन्न चैनलों पर अपनी प्रस्तुति दी।
        एम.ए. तक पढ़ें श्री तिवारी बचपन से ही साहित्य के प्रति समर्पित थे। ये हिंदी और भोजपुरी दोनों भाषाओं में समान रूप से लिखते हैं। ये स्वयं कहते हैं 'भोजपुरी हई माई हिंदी मउसी सुनऽ हमार.., एह दूनों भाषा में हमके मिलल स्नेह अपार..'।
          भोजपुरी में इनकी आपन देश महान के..., रखीहऽ जोगा के संस्कार...,  गाथा कहीं बिहार के..., समय के कीमत.., गंगा हो परदूषण मुक्त..., एकही ईश्वर के रूप इ....., कबो तू बड़का कबो हम बड़का..., चांद खुद ही छुपल.., तिरंगा ओढ़ी के.. आदि प्रसिद्ध हैं। 
हिंदी कविताओं में 'कागज की रोटी...'  न हंस ही रहा हूं.. न रो ही रहा हूं..'  'हम सब परिपक्व हैं..'  'पढ़ो रामायण',  'गीता का ज्ञान', ये कैसा इंसान.. आदि प्रसिद्ध है। इसके साथ ही,  श्री तिवारी लघु कथा, दोहा, मुक्तक, गीत आदि भी लिखते हैं। 
इनकी अप्रकाशित भोजपुरी रचनाओं में 'चिरई के संदेश' (काव्य संग्रह), पचपालो(गद्य संग्रह), कईसन बियाह (लघुकथा संग्रह) तथा हिंदी में अमृत कलश (गद्य संग्रह), शून्य से निकला शुन्य (पद्य संग्रह) जीवन भर के साथी (भोजपुरी फिल्म), मिलनवा होके रही (भोजपुरी फिल्म), महिमा सती माई के (भोजपुरी फिल्म) आदि है।
       पेशे से शिक्षक श्री तिवारी का विवाह 14 मई 2009 ईस्वी को सारण जिले के दाऊद पुर बंगरा निवासी श्री नर्वदेश्वर दूबे (अवकाश प्राप्त सैनिक) व श्रीमती भागमनी देवी जी की चौथी संतान सीमा कुमारी से हुआ। आदर्श कुमार तिवारी (शिवम) और अर्पित कुमार तिवारी(कान्हा) इनकी दो संतानें हैं।
लेखन के अलावा ये एंकरिंग, एक्टिंग व समाज सेवा में भी रुचि रखते हैं। भगवान इन्हें कामयाबी दे।


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