अल्फ़ाज में कह देती हूं

 



बे तकल्लुफ हूं 
परवाह नहीं करती 
बात अपने दिल की 
अल्फ़ाज में कह देती हूं ।


थाम के तुम को 


बहुत मुश्किल था मेरा 
यूं वापस लौट जाना 


मैंने उस राह को ही 
मंजिल बना लिया है 


एक इंतजार यूं अपनी 
आंखो में बसा लिया है 


तुझे ना भूलूं यही 
मुकददर बना लिया है 


जज्बातों के दरिया में 
जो तूने बहा दिया है 


मैंने थाम कर फिर उसको
 अपना ख़्वाब बना लिया है 


बहुत मुश्किल था क्यों कि
 मेरा यूं वापस लौट जाना


तनीशा मीशा


MAnNisha misha


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