फागुन के महीने में ,
रंगों की बहार आयी ,
दिलों में प्रेम भर लाई,
मिलजुल खेलेंगे होली ,
बैर दिलों से मिट जाएंगे ।
फागुन के महीने में------
फाग गीतों से सज गई,
मतवालों की टोली भी ,
भांग ठंडई कि चढी खुमार ,
महादेव की लगी जयकार।
फागुन के महीने में---------
हँसी ठीठौली करके हम,
सखीयाँ खेली खुब होली,
कभी इधर तो कभी उधर,
रंग बिरंगे रंगो वाले देखो,
चेहरे दिखते बहुत निराले ,
फागुन का महीने में---------
पिया संग खेली प्रेम होली
दिल में मेरे बस जाती है
प्रेम पिया का पाकर तो
उनमें ही मैं रम जाती हूँ
हर यादो में उनके फिर तो
मै शामिल सी हो जाती हूँ
फागुन का महीने में------
रचनाकार-आशा उमेश पान्डेय
अम्बिकापुर छग