भोले भंडारी
आई मै शरण तिहारी
निलकंठ है नाम तुम्हारा,
हे शंकर त्रिपुरारी.....
भोले भंडारी.........
कार्तिक गणपति लाल तुम्हारे
गौरी संग तुम लगते हो प्यारे
माथे पे चंदा हाथों में डमरू
नंदी सजती द्वार तुम्हारे........
हे औघड़ दानी.....
हे शंकर त्रिपुरारी.........
देवों ने जब तुमको पुकारा
दौडे आये दुःख से उबारा,
सब पर करते तुम्ही कृपा प्रभु
दुजा नहीं कोई सा हमारे....
हे विषधर धारी.......
हे शंकर त्रिपुरारी........
गले में सर्पों की माला है
जटा में गंगा की धारा है
भांग धतूरा अति मन भाए
अंग भभूति भष्म रमाए,
अब तो प्रभु आस तुम्हारी,..
सुनियो विनती हमारी.....
हे शंकर त्रिपुरारी.......
हे भोले भंडारी......
स्वरचित पूनम दूबे अम्बिकापुर छत्तीसगढ़🍃🙏✍✍