रिश्वत

 

"अरे भाभी, सुना है तेरे दामाद ने सॉउथ -एक्स में नई कोठी ली है?" आँखें नचाती सुमित्रा ने अपनी पड़ोसन शान्ति से पूछा !

"हाँ ! अभी कल ही मुहूर्त हुआ है !" मंदिर की सीढ़ियां चढ़ते हुए शान्ति बोली ! 

"अच्छा, उसकी जनकपुरी वाली कोठी का क्या हुआ? अच्छी खासी रकम मिल गयी होगी उसकी तो !" जिज्ञासु प्रवृति की सुमित्रा बोली !

"अरे उसे नहीं बेचा है, पड़ी रहेगी वो भी, बच्चों के काम आएगी !" अपनी सहेली और हमराज सुमित्रा से शान्ति बोलीं !

सुमित्रा यकायक बोल उठी, "तुम्हारे दामाद तो सरकारी बाबू है ना? फिर इतनी कारें -घर? लगता है... ऊपरी कमाई काफी है !"

"अरे ! बड़ा नेक बच्चा है ! हर माह बिन चूके ऊपरी कमाई का बीस प्रतिशत मंदिर में दान करता है ! मन और धन की शुद्धि के लिए घर में पूजा-पाठ, यज्ञ वगैरह नियमित करवाता है ! तभी तो भगवान ने कृपा बनाई हुई है !" राज़ खोलते शान्ति बोली ! 

दोनों अब मंदिर में प्रवेश कर चुकीं थीं ! दस का नोट पर्स में वापिस रख, सौ का नोट आरती की थाली में चढ़ाते हुए सुमित्रा भविष्य के सुन्दर सपनों में खो गयी थी !

अंजु गुप्ता


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