पुस्तक समीक्षा- “शुगर फ्री सी जिंदगी”

 


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पुस्तक समीक्षा- “शुगर फ्री सी जिंदगी”
कवयित्री- किरण मिश्रा स्वयंसिद्धा
समीक्षक- डॉ प्रतिभा गर्ग


आज मुझे एक अनमोल भेंट मिली, प्रिय किरण मिश्रा दी द्वारा भेजी गई उनकी नई काव्य संग्रह “ शुगर फ्री सी जिंदगी” जैसा आकर्षक शीर्षक उतनी ही अप्रतिम पुस्तक व उसका आवरण, पुस्तक हाथ में आते ही मन पुस्तक पढ़ने को आतुर हो गया। हृदय की अभिव्यक्तियों का अथाह रत्नाकर स्नेहिल प्रीत के भावों से युक्त काव्य रत्नों के रूप में समाहित हैं। सच में यह पुस्तक यथार्थवादी आभा बिखेरती हुई प्रतीत होती हैं जो हमारे समाज को आईना दिखा रही हों एवं प्रत्येक पाठक को सहज ही खुद से जोड़ने में संभव है। १४५ विभिन्न विषयों पर छंद मुक्त काव्य रस बिखेरती इस कालजयी पुस्तक की इतने कम समय में समीक्षा करना सूर्य को दीपक दिखाने जैसा है। सभी विषय चुनिंदा सुमन की भाँति पुस्तक की आभा एवं पाठक रुचिर हैं, जो एक सफल पुस्तक का परिचायक है।
आपकी पुस्तक का  हर एक विषय जिंदगी के अनेक पहलुओं से रूबरू करवाता, अपने आप में उत्तम विशिष्ट है, जैसे मंथन, जाने कितनी घातें हैं, जिंदगी, स्त्रियाँ सिर्फ़ प्रेम होती हैं, नारी बस अपनों से हारी, प्रेम, मन की पीर, बेटियाँ, वजूद, कविता की उत्पत्ति, हमारी शान है हिंदी, नवीन भारत, कलर ब्लाइंड,आदि, विविध  विषयों पर इतने सरल शब्दों में भाव प्रकट करना और सहजता से काव्य प्रवाह में अनमोल मोतियों की तरह पिरोना एक कुशल लेखनी को पुनः दर्शाता है।


सरस्वती वंदना द्वारा माँ शारदे से सहज भावों में आशीर्वाद माँगती... माँ जगतजननी का अद्भुत महिमामंडन करता लयबद्ध पंक्तियों से संग्रह का सुंदर आग़ाज़ हुआ है।


माँ संस्कारो की माला है,
माँ मंदिर और शिवाला है।


माँ के प्रति उच्च भाव आपके आपके समृद्ध संस्कारों एवं ममतामयी व्यक्तित्व को परिलक्षित करते हैं।


आपकी काव्य पंक्तियाँ सहज ही पाठक की नीरस जिंदगी में भावों की मिठास घोलते प्रतीत होते हैं। 
कवयित्री की “तुम्हारी यादें...”कविता में,


यह पंक्तियाँ - “गंगा सी निर्मल, ऋचा सी पावन, 
आयत सी पवित्र, कुमुदनी सी धवल, नाज़ुक स्मृतियाँ समेटती, नवेली साँझ सी”! 
एवं
“अलसुबह सूर्यपाहुन का, कपोलों पर फिर आस के,
स्वर्णिम कलश का उड़ेलना।”इन पंक्तियों के माध्यम से यादों के महत्व एवं मन के विचारों व अहसासों के मंथन का अद्भुत वर्णन किया है। सच में ये यादें और उनके अहसास हमारी जिंदगी की धरोहर होती हैं, इन पंक्तियों से कवयित्री के भावुक किंतु गहन व्यवहार काव्य सौष्ठव द्वारा रूपायित होता है।


“ इन सुंदर मुस्कान के पीछे
जाने कितनी घातें हैं।
कुछ आँखों से झरते मोती,
कुछ रूठी बरसाते हैं।


कवियित्री जिंदगी के यथार्थ को, लोगों की सच्चाई एवं संबंधों को कितनी सहजता व लयबद्ध तरीक़े से व्याख्यित कर रहीं हैं।हर पाठक खुद को इन पंक्तियों में पढ़ सकता है। यही एक सार्थक कवि की निशानी है। 


वो समझदार पुरुष...
“कितनी सीली सी हूँ, इक तेरे अपनेपन की,
मुट्ठी भर धूप की चाह लिए।
तेरे वटवृक्ष सी बाहों के साये में,
कहनी है जाने , कितनी कहानियाँ इस तंहा मन की।”


इन पंक्तियों में कवयित्री ने शायद हर स्त्री के मन को मानो एक कुशल मनोवैज्ञानिक की भाँति छू लिया है। शीर्षक को सार्थकता देती अंतिम पंक्तियाँ...


“हाँ मैं तुम्हारे पहलू में भी, तन्हा हूँ,
तुम्हारी बेरुख़ी, तुम्हारी बेपरवाहियों से, आख़िर तुम ये कब समझोगे...
वो समझदार पुरुष...”
बेबाक़ अपने मन को पुरुष सम्मुख रख अपने हिस्से का साथ माँगती हर भावुक स्त्री नज़र आ रही है। स्त्री के अंतस की पीड़ा को जड़ से पकड़ इतनी ख़ूबसूरती से उकेरना ...  
 वाह... इस खूबसूरत पंक्तियों एवं कविता के लिए मेरा साधुवाद स्वीकारें।
  
इस पुस्तक में कवयित्री किरण मिश्रा जी ने जिंदगी के हर पहलू को बड़ी संजीदगी से उकेरा है।स्त्री -पुरुष के संबंध, कैसे ये रिश्ते अनेक भ्रमों में उलझे हैं, दुनिया के रिश्ते, चाह की मृगतृष्णा, आकर्षण में उलझता मन, यादें , ऐसे अनेक भावो से संपुष्ट ये पुस्तक कहीं न कहीं हम सभी के मन को छूने में सक्षम सफल हुई है एवं हृदयग्राही है।मुख्यतः शृंगार रस के साथ साथ विरह का पुट लिए सम्पूर्ण संग्रह भावों का अनुपम समागम है।उत्तम शिल्प , भाव गुणवत्ता से सुसज्जित आपकी विस्तृत सोच, सौम्य सरल व्यक्तित्व पुस्तक में दृष्टिगोचर हो रहा हैं। आप की कल्पनाशीलता  सृजनशीलता को नमन व साधुवाद।
सच में आपकी एक एक कविता पाठक के मन में भावों का शुगर फ्री घोलती प्रतीत हो रही है। प्रिय किरण मिश्रा जी आपके कालजयी काव्य संग्रह के सफल सम्पादन और विमोचन के लिए आपको मेरी ओर से हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ। 
अप्रतिम भेंट के लिय हृदय तल से आभार प्रिय।🥰🥰
लेट पोस्ट करने के लिए दिल  क्षमा माँगती हूँ।🌹🙏🏻🌹


साहित्य जगत में चमकेगा किरण की लालिमा बिखेरे
प्रशंसकों की पंक्ति होगी एकदिन आपको घेरे।।
लेखनी की सशक्त धार में है दैदीप्य प्रकाश
असंख्य पुस्तकें हो प्रकाशित भाव लिए सुनहरे।।


कोटिश बधाई एवं शुभकामनाओं सहित....💐💐💐🥰🥰💐💕💕


-डॉ प्रतिभा गर्ग
गुड़गाँव ( हरियाणा)


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