प्रेम

 



महीन सी डोर प्रेम की।
बेमिसाल मजबूती के रहते।
कसकर बाँध लेती है।
कभी प्रभु को भी।
मुक्ति असम्भव सी।
अपने प्रिय भक्त से।
गहन संकट में।
अदृश्य परछाईं बन।
भर लेते है।
अंक में अपने।


सुधा भारद्वाज"निराकृति"
२५/२/२०२०
मंगलवार


Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
पीहू को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं
Image
ठाकुर  की रखैल
Image
कोरोना की जंग में वास्तव हीरो  हैं लैब टेक्नीशियन
Image