पित्ती होने पर त्वचा पर चकत्ते और ददोड़े पड़ जाते हैं, जिनमें तेज खुजली चलती है। ठंडी हवा लगने से यह कष्ट और बढ़ जाता है।
जहाँ शरीर का खुला भाग होता है, वहाँ लाल-लाल फुंसियाँ हो जाती हैं। कम्बल ओढ़कर अजवायन की धुनी देने से इसका कष्ट कम हो जाता है।
चिकित्सा : काली मिर्च पीसकर घी में मिलाकर चाटने से शीत पित्त (पित्ती) में आराम मिलता है। गेरु, हल्दी, मजीठ, काली मिर्च, अडूसा सब 10-10 ग्राम लेकर कूट-पीसकर मिलाकर सुबह-शाम चाटेंगे तो पित्ती में आराम होगा।
दूसरा नुस्खा :👉 गेरु, हल्दी, दारु हल्दी, मजीठ, बावची, हरड़, बहेड़ा, आँ वला सब 10-10 ग्राम लेकर कूट-पीसकर मिला लें व शीशी में भर लें। रात को 10 ग्राम चूर्ण एक गिलास पानी में भिगो दें और सुबह पानी नितार कर इसमें दो चम्मच शहद घोलकर पी लें। पानी निथारने के बाद गिलास में बचा गीला चूर्ण लेकर चकत्तों व ददोड़ों पर लेप करे। इस लेप से कष्ट शीघ्र मिट जाता है।
हरिद्रा खण्ड बनाकर सेवन करें ⬇ : हल्दी 300 ग्राम, शुद्ध घी 250 ग्राम, दूध 5 लीटर, शकर 2 किलो, सौंठ, पीपल, काली मिर्च, तेजपान, छोटी इलायची, दालचीनी, नाग केशर, नागरमोथा, वायविडंग, निशोथ, हरड़, बहेड़ा, आँवला और लौह भस्म सब 40-40 ग्राम।
हल्दी पीस कर दूध में डालकर आग पर रख उबालें और मावा बना लें, मावा घी में भून लें। शकर की चासनी बनाकर इसमें मावा और सभी द्रव्यों का कुटा-पिसा चूर्ण डालकर अच्छी तरह हिलाकर मिला लें, फिर थाली में जमने के लिए रख दें, जमने पर बरफी काट लें।
5 या 6 ग्राम वजन में इसे सुबह-शाम खायें। शीत पित्त, एलर्जी, त्वचा के विकार, ऐलोपैथिक दवा का रिएक्शन आदि सब व्याधि इस हरिद्रा खण्ड के सेवन से नष्ट हो जायेंगी। यह इसी नाम से बना बनाया बाजार में मिलता है।
जिद्दी दाद, खाज, खुजली, पित्ती, सोरायसिस, एलर्जी लयूकोडरमा विटिलिगो आदि सभी प्रकार की एलर्जी के ग्रुप परमानेंट आयुर्वेदिक उपचार हेतु तुरंत कॉल करें।
Dr. BKS Chaudhary (B.Sc. B.A.M.S.) सीताराम आयुर्वेदिक औषधालय बिजनौर। 9412102751