क्यों अक्सर रिश्तों के नाम पर छले जाते हैं लोग।
बस हर वक्त चाश्नी से पगे नजर आते हैं ...लोग ।।
हर मर्यादा ,हर विश्वास ,का आसानी से कत्ल करके।
क्यों दूसरों के वजूद को अक्सर मिटा जाते हैं लोग ।।
संसार के लिए हरिश्चंद्र बनकर दिखलातें है अक्सर जो।
वही झूठ के ढेरों से जमाने को ठगते नजर आते हैं लोग।।
दूसरों के दुख दर्द से नहीं है कभी सरोकार जिनको ।
स्वयं छले जाने पर क्यों बिखरे नजर आते हैं लोग ।।
स्त्री को मासूमियत से शिकार अपना बनाते हैं जो ।
वही अक्सर अपने रास्ते बदल जाते हैं........लोग।।
प्रेम ,प्रीत बहुत ही मीठे शब्द जो सुनने में लगते हैं ।
उनको अक्सर कड़वे घूंट में बदल जाते हैं...लोग ।।
दर्द उन मां बाप का भी पूछकर कभी देख लो तुम।
जिनके बच्चों को अक्सर नफरत सिखाते हैं लोग ।।
एक न एक तो दिखेंगी खुशी की मंजिल हमको भी ।
इसलिए बड़े से बड़ा ग़म अक्सर उठा जाते हैं लोग।।
सर्वाधिकार सुरक्षित
स्वरचित
रंजना शर्मा ✍️