सोंच जन की मिशरी मिली कि मेवा ,
करत रह अपना बाबू माई के सेवा ।
इहे हउवें ब्रह्म विष्णु इहे शंकर देवा ,
जाड़े में ओढ़वली माई अपनो देंह के लेवा ।।
सोंच जन की मिशरी मिली कि मेवा,
करत रह अपना बाबू माई के सेवा ।
भींजल तातल रुखल सुखल ,
अपने खइले होइहें ।
बबुआ खातिर चूल्हा फूंक के
टटका रोटी भात बनवले होइहें ।।
सोंच जन की मिशरी मिली कि मेवा,
करत रह अपना बाबू माई के सेवा ।
गरभ में माई अपना खून से सिंचले होइहें,
लाल पर ना आंच आवे राह फूंक के चलल होइहें।
बाबू जी स्कूले घूम-२के निमन चुनले होइहें ,
हाँथ धराके ABCDलिखे के सिखवले होइहें ।।
सोंच जन की मिशरी मिली कि मेवा,
करत रह अपना बाबू माई के सेवा ।
इनका चरनन में बा चारो धाम ,
कबो तनी दबा के देख ।
महके लगब दुनिया में खूब ,
कबो अइसनो इतर लगा कि देख ।।
सोंच जन की मिशरी मिली कि मेवा,
करत रह अपना बाबू माई के सेवा ।
ई थाती हउवें घर के जोगा के रखिह ,
करे के पुरनियन के सेवा अउरी लो से कहिह।
सोंच जन की मिशरी मिली कि मेवा ,
करत रह अपना बाबू माई के सेवा ।
कहे #शैलेन्द्र शीश नवाई अभिमान ना करिह ,
अपना बाबू माई के सेवा मन लगा के करिह ।।
सोंच जन की मिशरी मिली कि मेवा,
करत रह अपना बाबू माई के सेवा ।
शैलेन्द्र कुमार तिवारी
सिंगरवा अहमदाबाद
गुजरात 382430