इशारों में ही सब समझा गये क्या

 



वो हाले दिल हमें बतला गये क्या!
इशारों में ही सब समझा गये क्या!!


पहेली -सी बनाकर फिर वो ख़ुद को,
पहेली में हमें उलझा गये क्या!!


लो फिर आये नहीं वो करके वादे,
वो फिर वादों से दिल बहला गये क्या!!


चलाने को सियासत की दुकां वो,
पुरानी आग को भड़का गये क्या!!


अजब कुहराम-सा फिर मच रहा है,
वो दहशतगर्द फिर से आ गये क्या!!


वो आके ख़ुद को काबिज कर यहाँ पे,
गुलों की शोखियाँ बिखरा गये क्या!!


हमें अब राहतों-सी मिल रही हैं,
हमारे ज़ख़्म तुम सहला गये क्या!!


'सु'मन' को ताजगी महसूस होती,
वो अपने इश्क से नहला गये क्या!!


**सुमन मिश्रा**


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