सुन मैया मेरी मत रोना तुम
सुध बुध अपनी मत खोना तुम
भारत माँ का ही ऋणी था मैं
बस अपना फ़र्ज़ निभाया हूँ.!
दाग़ न लगने दिया वतन पर
वतन का मान बढ़ाया हूँ।
हूँ गुनहग़ार मैं तेरा भी
हे प्रियतम माफ़ मुझे करना
नहीं तोडना हाथ की चूड़ी
माथे सिन्दूर सजाना तुम !
तूँ विधवा नहीं है सदा सुहागन
कभी आंसू नहीं बहाना तुम
मैं हूँ सबसे किस्मत वाला
जो वतन का मान बढ़ाया हूँ
हूँ वीर लाल भारत माँ की
हंस मौत को गले लगाया हूँ।
माँ पुण्य शहादत को मेरे
अंसुवन से नहीं बहा देना
मैं 'मरा' कहाँ हूँ ''अमर'' हुआ
माँ हंस के मुझे विदा देना !
मैं गुनहग़ार हूँ तुम सबका।
अरमान अधूरा छोड़ चला।
पर क्या करता मैं बेबस था.
वो छल से मुझको लूट चला
वो आगे से वार अगर करता।
सौ टुकड़े उसका कर देता।
वो निर्ल्लज ज़ालिम क़ायर है
वो छुप के वार सदा करता।
अफ़सोस नहीं करना बहना
माना तेरा भी दोषी हूँ।
पर फ़र्ज़ निभाया माटी का
तुम हंस के मुझे विदा करना।
मैं आज शपथ ये खाता हूँ।
इस धरती पर फिर आऊंगा
जो फ़र्ज़ अधूरा छोड़ चला
वादों को सभी निभाउंगा।
जो वार किया है धोखे से
उसको भी सबक सिखानी है।
ये कसम है भारत माता की
जड़ मूल से उसे मिटानी है।
मैं कितना किस्मत वाला हूँ
तेरी दूध का फ़र्ज़ निभाया हूँ।
ज़रा ग़ौर से मुझको देखो माँ
मैं ओढ़ तिरंगे की वर्दी को
अपने गाँव में आया हूँ।
जय हिन्द जय हिन्द की सेना----
#मणि बेन
वाराणसी (उत्तर प्रदेश)