धीरे-धीरे सीख रहा दिल मेरा लिखना

 



रमण-बिहारी दिल दे बैठी तुमको अपना।
धीरे-धीरे सीख रहा दिल मेरा लिखना।


नींद घाट पर मन मोहन की मूरत देखी-
अपनी मंजिल ढूंढ रहा है मेरा सपना।।


श्याम मिलन को आए मेरा हाथ पकड़कर -
मैं तेरा तुम मेरी फिर ये कैसा डरना।।


बोले राधे राधे राधे- राधे नाम पुकारो-
भवसागर से पार करेगा इसका जपना।।


होंठ हिले बिन ध्यान मगन हो जाना जप में-
करली कितनी माला की मत गिनती करना।।


सावन, फागुन,  मौसम या ऋतुराज हुआ-
शब्दों की बौछार खुशी की ग़ज़लें लिखना।।


राधारानी नाम लिखोगी जिस रचना में-
शैया बनकर साथ रहेगी सुख से मरना।
संगीता पाठक


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