अभिवृत्ति - अभिवृत्ति यानी मन की स्थिति। हमारे रुख का निर्धारक और हमारे व्यक्तित्व निर्माण का कारक। अभिवृत्ति हमारे व्यक्तित्व की प्रवृत्तियों को प्रेरित करती है। यह हमारे व्यक्तित्व की क्रियात्मक और प्रेरणात्मक पक्ष से संबंधित होती है,जो हमारे अनुभवों में जन्म लेती है एवं सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पक्षों को स्वयं में समेटे रहती है।
अभिवृत्ति हमारे व्यक्तित्व के विभिन्न पक्षों से संबंधित होती है। यह हमारी मानसिक तत्परताओं के द्वारा हमारे व्यवहार को नियंत्रित करती है। इसमें उद्देश्य निहित होता है। व्यक्ति के अंदर सकारात्मक अभिवृत्ति विशिष्ट गुणों को पोषण देती है, जो उसके व्यक्तित्व निर्माण में सहायक होता है। व्यक्ति का व्यवहार प्रभावित होता है जिसमें उसके व्यक्तित्व की विशेषताएं परिलक्षित होती है। जब हम सकारात्मक अभिवृत्तियों का अर्जन करते हैं तब हमारे व्यवहार में निखार आता है और दूसरे व्यक्ति भी हम से प्रभावित हुए बिना नहीं रहते । यह अभिवृत्ति का सकारात्मक पक्ष होता है।
अभिवृत्ति आत्मगत होती है। यह हमारे व्यवहार की क्रिया एवं अभिप्रेरणा से संबंधित होती है जो हमारे सामने लक्ष्य का निर्धारण करती है। जब अभिवृत्ति लक्ष्य का रूप लेती है तब वह मूल्य बन जाती है। मूल्य जब विश्वास का रूप लेता है तो वह सर्जक बन जाता है। उसमें सृजन की क्षमता उत्पन्न हो जाती है। मानव स्वयं के सृजन को प्रेरित होने लगता है। आवश्यकता इस बात की है कि हम अपने अंदर सकारात्मक अभिवृत्तियों को तत्पर करें, जिससे हमारे लक्ष्यों के निर्धारण और प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त हो।
डॉ उषा किरण
16/02/2020l