पं वेद प्रकाश तिवारी ज्योतिष एवं हस्त रेखा विशेषज्ञ
शास्त्रों में तीन गणों देवगण, मनुष्यगण, और राक्षसगण में लोगों को विभाजित किया गया है। व्यक्ति के व्यवहार, आचरण और चरित्र के अनुसार व्यक्ति को गणों में विभाजित किया गया है। देवता के समान व्यवहार वाले लोग देवगण में पैदा होते है। साधारण मनुष्य के समान गुणों वाले लोग मनुष्यगण में पैदा होते है। और राक्षसों के समान गुणों वाले लोग राक्षसगण में पैदा होते है। दोस्तों आज हम आपको बताएंगे कि आप का जन्म किस गण में हुआ है और आपके पास कौनसी शक्तियां मौजूद हैं तो वह यह जान लेते हैं।
• देवगण :- देवगण में पैदा होने वाले लोग तेज दिमाग वाले और दयावान होते है। इस गण में पैदा होने वाले लोग दयावान, बुद्धिमान और दिलवाले होते है। इनका दिमाग कंप्यूटर की तरह चलता है। और अपने दिमाग से ही यह जीवन में उच्च सफलता प्राप्त करते है। अश्विनी,अनुराधा, श्रावण, मृगशिरा, पुष्य, हस्त, स्वाति,पुर्नवासु, रेवती नक्षत्र के समय में जन्म लेने वाला व्यक्ति देवगण का व्यक्ति होता है।
• मनुष्यगण :- मनुष्यगण में पैदा होने वाले लोगों के सामान्य मनुष्य की तरह गुण होते है। ऐसे लोग जीवन में आने वाले दुख-दर्द और समस्याओं से घबरा जाते है। और उनका सामना नहीं कर पाते है। इसके अलावा इनकी आंखें बड़ी होती है। और इनमें दूसरों को वश में करने की ताकत होती है। फाल्गुनी, उत्तर फाल्गुनी, भरणी, रोहिणी, उत्तर षाढा, आर्दा, पूर्वा पूर्व षाढ़ा, पूर्व भाद्रपद, उत्तर भाद्रपद के समय में जन्म लेने वाला व्यक्ति मनुष्यगण के अंतर्गत आता है।
• राक्षसगण :- राक्षसगण में पैदा होने वाले लोग भयंकर, डरावने, गुस्से वाले होते है। ऐसे लोगों के लिए लड़ाई-झगड़ा करना आम बात होती है। लेकिन इनकी अच्छाई यह है कि ये किसी भी परिस्थिति में डर कर भागते नहीं है। और डटकर सामना करते है। कृत्तिका, धनिष्ठा, चित्रा, मघा, अश्लेषा, विशाखा, ज्येष्ठा, मूल, शतभिषा नक्षत्र के समय जन्म लेने वाला व्यक्ति राक्षसगण के अंतर्गत आता है।