कल का क्या पता

 



जो न करे कद्र तेरी
उसकी कद्र करना क्या
जो न जिए तेरे लिए
उसके लिए मरना क्या
करता है हर पल इंतजार तेरा
रहते हो तुम जिसकी निगाहों में
पलक पावडे बिछाए रहता हो
जो हर पल तेरी रहो में
अपलक निहारता हो जो तेरी राहों को
जी साथ उसके मारने की तू बात न कर
जाना इस जहां से तो सबको है
ये कटु सत्य है जीवन का
जो मिले है पल खूबसूरत ज़िन्दगी के
जी भर जी ले यारा कल का क्या पता
                          कल हो  पर हम न हो✍️
                                                 गीत शैलेन्द्र


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