गीता सार

 


पहले दो शब्द


धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे


अंतिम चार शब्द
ध्रुवा नीति मती मम


अब ये शब्द इकट्ठा करके


धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे
ध्रुवा नीति मती मम


धर्मक्षेत्र = परमार्थ
कुरुक्षेत्र = संसार


ध्रुवा= स्थिर
नीति .. नीतिमत्ता
मती ...बुद्धि


अब एकत्रित अर्थ


"परमार्थ हो या संसार, मेरी नीतिमत्ता और बुद्धि स्थिर रहे । 


"व्यवसाय नौकरी
हो या घर संसार
मेरी नीति और मती
स्थिर रहे "
बस इतनी सिख
अगर हर व्यक्ति
अपने आचार विचार आहार विहार में दृढ़ करेगी
तो अपने निजी जीवनमे शांति और
अमन आनेमे देर नही लगेगी ।।


दिवाकर


प्रेरणा के लिए धन्यवाद।


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