पहले दो शब्द
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे
अंतिम चार शब्द
ध्रुवा नीति मती मम
अब ये शब्द इकट्ठा करके
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे
ध्रुवा नीति मती मम
धर्मक्षेत्र = परमार्थ
कुरुक्षेत्र = संसार
ध्रुवा= स्थिर
नीति .. नीतिमत्ता
मती ...बुद्धि
अब एकत्रित अर्थ
"परमार्थ हो या संसार, मेरी नीतिमत्ता और बुद्धि स्थिर रहे ।
"व्यवसाय नौकरी
हो या घर संसार
मेरी नीति और मती
स्थिर रहे "
बस इतनी सिख
अगर हर व्यक्ति
अपने आचार विचार आहार विहार में दृढ़ करेगी
तो अपने निजी जीवनमे शांति और
अमन आनेमे देर नही लगेगी ।।
दिवाकर
प्रेरणा के लिए धन्यवाद।