विधा-सरसी छंद गीत। "खुशबू"

 



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अनुपम खुशबू अली प्यार की ,चहुदिश फैली आज।
लागी  ऐसी  लागी  मोहन ,   आती  मुझको  लाज ।।
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व्यर्थ  वेदना  जब भी  घेरे  ,  करती  तुझको  याद ।
श्याम  सलोना मुखड़ा  देखूँ, मिट  जाता अवसाद ।।
दिल की  बातें छुपी कहाँ थी , जान  गए सब राज ।
लागी  ऐसी  लागी मोहन  ,  आती  मुझको  लाज ।।
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स्वप्न लोक सी दुनिया अपनी, अद्भुत लगता गेह।
चंदन की डाली  सा महके  , हम दोनों का  नेह ।।
कभी  अगर  जो रूठे हमसे , हो जाऊँ  नाराज ।
लागी ऐसी लागी  मोहन  , आती  मुझको लाज ।।
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रखना अपनी  ही छाया में , जैसे तरुवर शाख ।
टूटे ना यह रिश्ता अपना  ,  आये कंटक लाख।।
उपवन की चिड़िया सी चहकू,बनकर मैं परवाज़।
लागी ऐसी लागी मोहन  , आती मुझको लाज ।।
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अर्चना लाल 
जमशेदपुर झारखंड


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