रोटी को भी बहलाया फुसलाया जाता है
जब आग के दामन से उसे बचाया जाता है
रोटी प्रजातंत्र का बहुत शातिर खिलाड़ी है
तभी तो इसे भरे पेट में खिलाया जाता है
झुकोगे,गिरोगे,तरसोगे और कलपोगे भी
जब रोटी का अभिमान दिखाया जाता है
तुम्हारी गरीबी का शिगूफा बना बना कर
रोटी को अमेरिका-जापान घुमाया जाता है
कहीं किसी कोने से क्रांति न खिल उठे
देर सवेर रोटी का तूफ़ान मचाया जाता है
सलिल सरोज