प्रात स्मरण

 



चल उठ निद्रा आलस्य छोड़, 
अब प्रात:होने वाली है।
नित नमन करें धरती मां का,
जग भरती जो खुशिहाली है।।


स्मरण करें गुरु मातु पिता का,
पद रज माथे ले आशीष सदा।
बल बुद्धि आयु यश कीर्ति बढ़े।
नित नव मंगल गृह रहे सदा ।।


नित कर दर्शन करना ना भूलें,
कर मध्य विराजे चतुरानन।
कर मूल विराजे मातु शारदा,
कर अग्र भाग लक्ष्मी दर्शन ।।


धरु ध्यान भवानी जगदम्बा का
जप नाम विघ्नहर श्री गणेश का।
स्नान ध्यान अर्पण जल दिनकर,
कर नमन सदा शिव शंकर का।।


नित शिव अज विष्णु त्रिदेवों को,
मन से मन का अर्पण करना।
तर्पण करना कुल पितृदेव का,
सब तन मन धन अर्पण करना।।
kavyamalakassk.blogspot.com
जारी.......
सुरेन्द्र दुबे
(अनुज जौनपुरी)


Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
सफेद दूब-
Image
भोजपुरी भाषा अउर साहित्य के मनीषि बिमलेन्दु पाण्डेय जी के जन्मदिन के बहुते बधाई अउर शुभकामना
Image
प्रो. राजाराम शास्त्री जी की 116 वीं जयंती मनायी गयी
Image