विनोद पाण्डेय
मित्रो फेसबुक आज के समय महान आविष्कार सावित हो रहा है। इसका उपयोग करके लोग किसी जगह हो रहे गैर कानूनी कामों को एक्सपोज करने के लिए करते हैं। तथा दोषी लोगों को सजा भी मिल जाती है।
वर्तमान में अगर देखें तो महिलाएँ इसका काफी उपयोग कर रही है। तथा अपनी भावनाओं को प्रदर्शित करती है। उनकी कुछ कहने और थोड़ा बहुत लिखने की क्षमता भी विकसित हो रही है। कही देखने को मिला है कि उनकी छेड़छाड़ की घटनाओं में भी वीडियो बनाकर पोस्ट करने से उन्हें न्याय भी मिल जाता है।
अतीत की तरफ यदि जाएं तो महिलाओं के ऊपर बहुत बंदिशे थी राजा यह राजाओं के काल व मुगल काल में तो बहुत अधिक थी। हलांकि बीच बीच में कई महापुरुष हुए जिन्होने महिला सशक्तिकरण के पक्ष में आवाज उठाई। इनके सशक्तिकरण के लिए लोगों को जागरूक भी किया।
मित्रो वो काल वो समय वो व्यवस्था आज काफी पीछे छूट गयी है। और महिला अधिकारों के हनन से बहुत कुछ छुटकारा मिला है। आज महिलाएं बहुत आगे खडी़ है। पुरुषों से बराबरी करने में पीछे नहीं है।
रूरल इलाकों में आज भी सामाजिक बंदिशे है सामाजिक कानून है जो आज भी इन इलाकों में लागू होते हैं। लेकिन मित्रो मै समझता हूँ कि हमारी फेसबुक एक एसा अस्त्र है जिसका इस्तेमाल करके महिलाएं अपने विचार व्यक्त करतीं हैं और अपने को मुख्य धारा में शामिल कर लेतीहै।
आज हम कही भी दर्शनीय स्थलों पर जाते हैं और अपने परिवार👨👦👧👩👴👵 सहित सेल्फी लेकर फेसबुक पर डाल कर अपनी स्थित का अहसास कराने में नहीं चूकते। अथवा किसी पुरुष्कार समारोह या समाज सेवा से जुड़े कार्यक्रम की फोटो लेकर फेसबुक पर डाल कर अपनी लोकप्रियता हासिल करने का प्रयत्न करते हैं।
लेकिन अधिक तर देखने मिलता है लोग इसका दुरूपयोग भी जमकर करते हैं। कहीं भी खड़े है अथवा बैठे है सेल्फी ली और फेसबुक पर डाल दी। मुझे लगता है कि ऐसा करना बहुत गलत है। यदि कोई ऐसा काम हो जो समाज के लिए प्रेरणास्रोत हो तो जरूर आम जनमानस तक पहुचाने के लिए इसका प्रयोग करना चाहिए।।
बात यदि केवल महिलाओं की जाए तो उनकी पोस्ट में हमें कुछ न कुछ बास्तबिक पहलू नजर आयेंगे। महिलाएं ज्यादा तर धार्मिक, एवं सामाजिक क्रिया कलापों के लिए अथवा देशाटन व तीर्थस्थानों की फोटो को ही अपलोड करतीं हैं। तथा अपनी उपस्थित दर्ज कराती है जो उनके वैचारिक, सामाजिक, धार्मिक, परिवारिक अभिव्यक्ति प्रदर्शित करने के लिए एक अच्छा माध्यम है।