इक दूसरे का साथ हो ।
बस हाथ में ये हाथ हो ।
होगे नहीं फिर हम जुदा ।
करते यही विनती खुदा ।
दुश्मन ज़माना ख़ाक हो ।
रिश्ता हमारा पाक हो ।
चल दूर दुनिया से चलें ।
इक दूसरे से फिर मिलें ।
भजते रहो बस राम तुम ।
रटते रहो घनश्याम तुम ।
दर पर झुकाओ शीश को ।
लेते रहो आशीष को ।
सबके ह्रदय में राम हैं ।
मुरली बजाते श्याम हैं ।
करता सदा वो रास था ।
मन राधिका के पास था ।
@ नूतन मिश्रा