घर अपने को

 



ढूंढती रही  मै उम्र भर
घर एक अपने को
जन्मी जहां मै कभी
पराई रही सदा मै
खेली कुदी बड़ी हुई जहां
 वो भी अपना हुआ कभी न
ढूंढती रही मै उम्र भर
घर एक अपने को
रुखसत कर दिया 
बाबुल ने घर अपने से 
जैसे हो सामान किसी का
 घर उनके गिरवी पड़ा
ढूंढती रही मै उम्र भर
घर एक अपने को
जहां पहुंची साथ किसी के 
वो भी न हुआ अपना कभी
यहां भी वही दंश सहती रही
परायेपन का पल पल  मै
ढूंढती रही मै उम्र भर
घर एक अपने को
साजाया संवारा जिस घर को
वो भी अपना  हुआ  कब
जीते रहे हैं हम पराए बन
किसी की दहलीज पर
रहा न आशियाना कोई अपना
ढूंढती रही  मै उम्र भर
घर एक अपने को✍️
                    गीत शैलेन्द्र


Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
ठाकुर  की रखैल
Image
पीहू को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं
Image
आपका जन्म किस गण में हुआ है और आपके पास कौनसी शक्तियां मौजूद हैं
Image