"एक अजीम लेखक और निर्देशक कुमार सरोज"

 



                                          नागेंद्र कुमार पांडे


आज के इस अंक में मैं बात करने जा रहा हूं. लेखक और निर्देशक कुमार सरोज की.


कुमार सरोज एक ऐसे लेखक है. जिन्होंने अब तक करीब 4 भाषाओं में काम किया. कुमार सरोज मगही भाषा फिल्म इंडस्ट्री तथा मगही भाषा के विकास के अग्रणीम नुमाइंदा भी है. आइए जानते हैं. कुमार सरोज से जुड़ी कुछ खास पहलुओं के बारे में.


कुमार सरोज का जन्म बिहार के अरवल जिला के नजदीक एक बहुत ही प्राचीन गांव सिकरिया में हुआ. इनका गांव बहुत ही पुराना है. इनकी प्रारंभिक शिक्षा भी ग्रामीण पद्धति से ही हुई. जहां इनके परिवार के लोग तालीम  ली. वहीं से इनकी प्रारंभिक शिक्षा हुई. आगे चलकर इन्होंने अरवल जिला के हाई स्कूल कुर्था से दसवीं की परीक्षा पास की. उसके बाद मगध यूनिवर्सिटी से इन्होंने ग्रेजुएट किया.


परंतु इनके जीवन में साहित्य का बीज सातवीं कक्षा से हैं उग  चुका था. क्योंकि, ये आम बच्चों के हिसाब से बहुत अलग थे, और बहुत ही जिज्ञासु थे. जब कुमार सरोज सातवीं कक्षा में पढ़ते थे. उसी समय यह कहानी और नाटक लिखना शुरू कर दिया था. उस समय एक नाटक "गांव का पाठशाला" और कहानी "बदलते लोग" लिखा था .
और हाई स्कूल में आते-आते, गजल और उपन्यास लिखना प्रारंभ कर दिया. कुछ समय बाद इन्होंने कहानियां और गजल लिखकर पत्रिका में प्रकाशित कराने के लिए भेजना शुरू कर दिया. इन्होंने दसवीं की परीक्षा पास करने के बाद "लड़कियों के सौदागर "नाम का एक उपन्यास लिखा. उन्होंने एक बार फिर साबित कर दिया कि समय का इस्तेमाल कैसे सकारात्मकता का बीज बोने में किया जा सकता है. इनकी लिखी हुई पहली कहानी "बदलते लोग" सबसे पहले पहचान पत्रिका और उसके बाद प्रभात खबर, हिंदुस्तान, सरिता इत्यादि अखबार में प्रकाशित हुई. एक कहानी "आखिर कब" 2003 में प्रकाशित हुई थी. जिसे पढ़ने के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई शुभकामनाएं भी भेजा था. उसके बाद इनका मनोबल बढ़ गया. दबे कुचले और असहाय लोगों के लिए अपनी कलम का इस्तेमाल बहुत आल्हा तरीके से किया. कुमार सरोज सामान्य लेखक से फिल्म लेखक बनने का सफर भी काफी रोचक रहा. इन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद शुरू शुरू में आजीविका के लिए एक गैर सरकारी स्कूल में पढ़ाने का काम शुरू किया. लेकिन इनकी किस्मत को कुछ और ही मंजूर था . इसी दौरान उनकी मुलाकात एक डांस टीचर से हुई .जिन्होंने एक फिल्म निर्देशक से इनकी मुलाकात करवाई. इसके बाद शुरू हुई इनकी फिल्मी सफर, उन्होंने ना सिर्फ कई भोजपुरी फिल्में जैसे "साली मिलल दहेज में" "दुल्हन हम ले जायेंगे" "बवंडर सिपाही" का बल्कि कुछ हिंदी फिल्मों के लिए भी फिल्म की  कहानी लिख कर इन्होंने अपना किस्मत में आजमाया. आपको बताते चलें कि कुमार सरोज के निर्देशन में बनी पहली फिल्म का नाम "मगध पुत्र" है. इसके बाद हाल ही में इन के निर्देशन में बनी फिल्म  "इश्क पर जोर नहीं" और "जंग ए इश्क" रही. यह फिल्म अच्छी खासी कमाई की थी. इसके अलावा और कई हिंदी और भोजपुरी, मैथिली, बज्जिका का प्रोडक्ट है. जिस पर अभी काम चल रहा है. ये बताते हैं कि फिल्म की कहानी लिखने के साथ साथ निर्देशन भी करता रहूंगा. अच्छी फिल्में बनाऊंगा और फिल्मों के माध्यम से लोगों का मनोरंजन भी करूंगा.


कुमार सरोज अब तक "इश्क पर जोर नहीं" "गहरा असर" "साली मिल दहेज में" "सलाम इंडिया" तथा "सीतामढ़ी की मैना" बहुत ही चर्चित सीरियल. यह बज्जिका भाषा में रिलीज हुई है. "सीतामढ़ी की मैना" यह सीरियल कई चैनलों के साथ यूट्यूब पर भी उपलब्ध है. अब तक इस इसके 20 एपिसोड दिखाया जा चुका है. वही हाल ही में रिलीज हुई. "नालंदा की धनिया" यह मगही भाषा की प्रथम सीरियल है. जो कि बहुत ही नाम कमा रही है. अब तक इस सीरियल का दो ही एपिसोड प्रस्तुत किया गया. यह भी मगध वासियों एवं मगही भाषियों के लिए बहुत ही आकर्षक सीरियल है. यह भी यूट्यूब पर मौजूद है.



"प्रस्तुत है लेखक और निर्देशक कुमार सरोज से साक्षात्कार के चंद सवालात और उनके जवाबात."



प्रश्न 1.कुमार सरोज जी ! आपको द ग्राम टुडे दैनिक समाचार के ऑफिस में तहे दिल से स्वागत है.


उत्तर- शुक्रिया ! पांडे जी !


प्रश्न 2. आप की सबसे पहली फिल्म कौन सी रही और किस भाषा में रिलीज हुई?


उत्तर- मगध पुत्र, भोजपुरी भाषा


प्रश्न3. क्या आपको फिल्मों में  आने का बचपन से ही शौक था?


उत्तर- हां..!


प्रश्न4. आपने कई फिल्में और उपन्यास लिखें. आप अपनी प्रेरणा का स्रोत किन्हे मानते हैं?


उत्तर- दोस्तों और शुरुआती के शिक्षकों को.


प्रश्न 5. फिल्म जब आप लिखा करते थे, तो पहले कहानी लिखते थे? या पहले आप कहानी का शीर्षक लिखते थे?


उत्तर- पहले कहानी का प्लॉट लिखते हैं. उसके बाद शीर्षक देते हैं.


प्रश्न6. आप अपनी रचनाओं खासकर उपन्यास या फिल्मों में सबसे ज्यादा किस कहानी को पसंद करते हैं ? क्यों?


 उत्तर- "पागल कुत्ते", आज का समाज  तीन वर्गों में बांटा हुआ है. तीनों का व्यवस्था भी अलग-अलग है. इसी व्यवस्था पर केंद्रीकृत है. "कहानी- पागल कुत्ते"


 प्रश्न7. आपने अब तक कितने फिल्मों में एज ए डायरेक्टर और कितने फिल्मों में एज ए राइट ? काम किया?


 उत्तर- अब तक मैंने राइटर डायरेक्टर में चार फिल्में बनाई.
वहीं दूसरी ओर राइटिंग के मद्देनजर 7 फिल्में है. यह हिंदी और भोजपुरी दोनों में है.


 प्रश्न8. मैंने सुना कि आपने अब तक कई भाषाओं की फिल्मों और सीरियल्स में काम कर चुके हैं. वैसे आप अब तक कितने भाषाओं की फिल्म और सीरियल्स में काम किया?


 उत्तर- अब तक मैंने चार ही भाषाओं में काम किया है. जिसमें हिंदी, भोजपुरी , बज्जिका, मगही  मुख्य रूप से शामिल है.


 प्रश्न9. वैसे मैंने सुना कि आप हाल ही में कुछ भोजपुरी फिल्म प्रोजेक्ट छोड़ दिए. उसके पीछे जो कारण आ रहा था. वह यह था कि आप "मगही भाषा फिल्म इंडस्ट्री" और "मगही भाषा विकास" के लिए जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं.


 उत्तर- मैंने इसलिए छोड़ा की. "नालंदा की धनिया" मगही भाषा में ही रिलीज होने वाली है और उसका प्रोजेक्ट जोरों पर था. और उसका 100 एपिसोड आने वाला है . एक साथ  उन  तमाम प्रोजेक्ट पर काम किया नहीं जा सकता था .इसलिए मैंने उस प्रोजेक्ट को छोड़ा .इस सीरियल( नालंदा की धनिया) का प्रसारण सोहर चैनल पर मगही भाषा में होता है.


 प्रश्न10. आप मगही भाषा के विकास के लिए बहुत कुछ कर चुके हैं और कर रहे हैं. परंतु, मुझे जहां तक जानकारी है. अभी यह मगही भाषा फिल्म इंडस्ट्री बहुत ही पुअर है. इस फिल्म इंडस्ट्री में कुछ भी नहीं हुआ है. जहां तक बात की जाए तो kuchh फिल्म अब तक रिलीज हुई है. परंतु दूर दूर तक कोई उम्मीद नहीं झलकता है. फिर भी आप मगही भाषा की ध्वजा लेकर सबसे आगे चलने की प्रयास कर रहे हैं. आखिर ऐसा क्यों?


 उत्तर- आपने जो बातें कहीं बिल्कुल सत्य है. लेकिन, मैं मगध में हीं पैदा हुआ, तो हर कोई अपनी मातृभाषा अपनी मातृभूमि के लिए कुछ करता है. ऐसे में मेरा मानना है कि मैं भी अपनी मातृभूमि और मातृभाषा के लिए कुछ करूं इसीलिए मैं मगही भाषा के विकास के लिए कुछ कर रहे हैं. वैसे मगही फिल्म इंडस्ट्री का जन्म भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के साथ ही हुआ था. 1962 के दशक में ही इस फिल्म इंडस्ट्री के स्थापना हुई. परंतु अफसोस है कि यह उतना विकास नहीं किया क्योंकि इसके रहनुमा आज तक इसके साथ भेदभाव कर रहे हैं.
क्योंकि, मगही की पहली फिल्म "हमार भैया" 1962 में ही रिलीज हुई थी.


 प्रश्न11. आपकी एक सीरियल "नालंदा की धनिया" यह भी मगही भाषा में ही रिलीज हुआ. आप की पहली फिल्म का नाम "मगध पुत्र" रहा. वैसे तो मगही बहुत ही पुरानी, बहुत ही प्राचीन उपभाषा है. इसी उपभाषा में बौद्धों और जैनों का साहित्य भी लिखा गया है. परंतु, इसमें अभी काम कुछ भी नहीं हुआ. ऐसे में आप सरकार से क्या उम्मीद करते हैं?


 उत्तर- मगध वह राष्ट्र है. जिसने विश्व को धर्म और विश्व शांति का संदेश दिया. आज भी मगध दुनिया में शून्य के लिए जाना जाता है. आर्यभट्ट ,चाणक, नालंदा विश्वविद्यालय इसी धरती से संबंध रखते थे. परंतु, अफसोस की बात है कि सबसे ज्यादा मगध के बेटों ने हीं मगही भाषा के साथ भेदभाव किया. सरकार भी इसके साथ सौतेला व्यवहार कर रही है. अगर सरकार मगही भाषा के विकास पर थोड़ी सी ध्यान दें, तो यह भोजपुरी के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने लगेगी.


 प्रश्न12. "सीतामढ़ी की मैना" यह सीरियल बज्जिका का भाषा में रिलीज हुई. कई चैनलों पर प्रसारित की गई. मैंने भी देखा. इसकी कहानी करीब-करीब सीतामढ़ी के आसपास की मौजूदा हालत को बयान करती है. आप रहने वाले मगध बिहार के हैं. परंतु, वहां की संस्कृति और जीवन शैली का कहानी का प्लॉट कैसे बनाया?


 उत्तर- चुकी, सीतामढ़ी माता सीता की जन्म स्थली है. लोगों को इस कारण से आकर्षण की धरती है. अतः, इसीलिए मैंने सोचा कि इसी मौजू को कहानी का प्लॉट बनाकर लोगों तक प्रदर्शित करें. इसलिए कुछ दिनों के लिए मैं सीतामढ़ी में रहकर, वहां के जीवन शैली का भी अध्ययन किया और तब जाकर सीतामढ़ी की मैना कहानी लिखा.


प्रश्न13. लोग बोलते हैं कि फिल्म इंडस्ट्री या फिल्म में काम करने के लिए मुंबई जाना जरूरी होता है. आप इस बात को किस नजरिए से देखते हैं.? क्या यह बात बिल्कुल सत्य है? आप ज्यादातर टाइम तो पटना में ही बिताते हैं. आपका क्या ख्याल है?


 उत्तर- यह जरूरी नहीं कि फिल्म इंडस्ट्री या किसी भी इंडस्ट्री में सफल होने के लिए होने के लिए मुंबई या किसी खास स्थान पर जाना जरूरी  है. अगर व्यक्ति में मेहनत, परिश्रम और लगन हो तो वह व्यक्ति कहीं भी सफल हो सकता है.


 प्रश्न14. आपकी आने वाली नई फिल्में और सीरियल कौन- कौन सी है?


 उत्तर- "गहरा असर" जो कि हिंदी में आने वाली है. "हम जैसन दीवाना कहां" भोजपुरी फिल्म, ये दोनों रिलीज होने वाली है. वैसे एक नई सीरियल भी आने वाली है. जिसका नाम अब तक घोषणा में नहीं है.


 प्रश्न15. आपके करीबी से पता चला है कि आप एक फिर से मगही भाषा में ही कोई सीरियल बनाने वाले हैं. इस प्रोजेक्ट का सारा कागजी काम संपन्न हो गया है .सिर्फ शूट होना बाकी है. जिसमें एक बहुत ही चर्चित अभिनेता चिरंजीवी पांडे को आप लीड रोल में रखने वाले हैं. आप इस नए अभिनेता और नए सीरियल के बारे में बताएं.


 उत्तर-  हां यह बिल्कुल सत्य है कि मैं एक फिर से मगही सीरियल करने वाला हूं. जिसमें मुझे एक नए कलाकार जिसे लीड रोल में रखने की आवश्यकता है. जिसे मैंने चिरंजीवी जी को देखकर महसूस किया,
 और उन पर केंद्रीकृत मगही भाषा सीरियल को बहुत जल्दी रिलीज करने वाला हूं .


आपको मेरे दैनिक समाचार द ग्राम टुडे के ऑफिस में आने के लिए तहे दिल से शुक्रिया बहुत-बहुत धन्यवाद    नागेंद्र कुमार पांडे 


nagendra7070070@gmail.com


                                              


Popular posts
अस्त ग्रह बुरा नहीं और वक्री ग्रह उल्टा नहीं : ज्योतिष में वक्री व अस्त ग्रहों के प्रभाव को समझें
Image
सफेद दूब-
Image
गाई के गोवरे महादेव अंगना।लिपाई गजमोती आहो महादेव चौंका पुराई .....
Image
भोजपुरी भाषा अउर साहित्य के मनीषि बिमलेन्दु पाण्डेय जी के जन्मदिन के बहुते बधाई अउर शुभकामना
Image
ठाकुर  की रखैल
Image