दोहे

 



नेताओं का शगल है,सत्ता हित संघर्ष।
जनता का होता नहीं,इसीलिए उत्कर्ष।।1


नेताओं  के  पास  जा ,रोते  बैठ उसूल।
आदर्शों की बात तो,उनको लगे फिजूल।।2


राजनीति ने ले लिया,देखो कैसा मोड़।
करती है बेमेल से,कुर्सी हित गठजोड़।।3


राजनीति में है नहीं,कोई कभी अछूत।
गठबंधन बेमेल का,इसका बड़ा सबूत।।4


मिलती है मंजिल उसे,जो भी करे प्रयास।
बिना परिश्रम व्यर्थ है,चमत्कार की आस।।5



                 डाॅ बिपिन पाण्डेय


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