दोहा गीत

 



 


 


 



जागो-जागो साथियों, व्यक्त करो उद्गार |
मित्र पुरानी पेंशन, जन्मसिद्ध अधिकार ||


संघर्षों के बाद ही, मिलता है  अधिकार  |
ओपीएस लागू  करो,  हठधर्मी  सरकार |
भृकुटी ताने हैं खड़े , नयनों में  है  ज्वार |
मित्र पुरानी पेंशन, जन्मसिद्ध अधिकार ||०१


सुधि कोई लेता नहीं, सब लेते हित   साध |
कर्मचारियों ने किया, मानो कुछ  अपराध |
धोखे में रखकर किया, हम पर खंजर वार |
मित्र  पुरानी  पेंशन,  जन्मसिद्ध  अधिकार ||०२


जब से मित्रों हो  गई ,  तनखा  मेरी  बंद |
कपड़ों पर दिखने लगे ,  बडे़-बडे़  पैबंद |
तीस बरस की नौकरी, पर धोखे की मार |
मित्र पुरानी  पेंशन , जन्मसिद्ध अधिकार ||०३


जिला, ब्लॉक अरु राज्य में, सबकी इक ललकार |
वापिस   हमको   चाहिए  , पेंशन    का    उपहार |
करता   हूँ     मैं   साथियों,   व्यक्त   हृदय  उद्गार  |
मित्र    पुरानी    पेंशन   ,   जन्मसिद्ध   अधिकार ||०४


नवनीत चौधरी विदेह


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