जागो-जागो साथियों, व्यक्त करो उद्गार |
मित्र पुरानी पेंशन, जन्मसिद्ध अधिकार ||
संघर्षों के बाद ही, मिलता है अधिकार |
ओपीएस लागू करो, हठधर्मी सरकार |
भृकुटी ताने हैं खड़े , नयनों में है ज्वार |
मित्र पुरानी पेंशन, जन्मसिद्ध अधिकार ||०१
सुधि कोई लेता नहीं, सब लेते हित साध |
कर्मचारियों ने किया, मानो कुछ अपराध |
धोखे में रखकर किया, हम पर खंजर वार |
मित्र पुरानी पेंशन, जन्मसिद्ध अधिकार ||०२
जब से मित्रों हो गई , तनखा मेरी बंद |
कपड़ों पर दिखने लगे , बडे़-बडे़ पैबंद |
तीस बरस की नौकरी, पर धोखे की मार |
मित्र पुरानी पेंशन , जन्मसिद्ध अधिकार ||०३
जिला, ब्लॉक अरु राज्य में, सबकी इक ललकार |
वापिस हमको चाहिए , पेंशन का उपहार |
करता हूँ मैं साथियों, व्यक्त हृदय उद्गार |
मित्र पुरानी पेंशन , जन्मसिद्ध अधिकार ||०४
नवनीत चौधरी विदेह