जाता जब ससुराल में , बन्ना पहली बार |
साले, सलहज , सालियाँ , करते हैं मनुहार |
करते हैं मनुहार , बहुत सा लाड़ लुटाते |
मिलता छप्पन भोग , चकाचक पान खिलाते |
खा - पीकर बौराय , दक्षिणा तगड़ी पाता |
मौका मिलते यार , पहुँच वो अक्सर जाता || ...( १ )
फूफा बनकर जब गया , बन्ना निज ससुराल |
पहले से खस्ता हुए , उसके दिल के हाल |
उसके दिल के हाल ,पास न कोई बिठाता |
बैठक में वो बैठ , अकेला पड़ा अघाता |
कह विदेह कविराय , बना अब नया शिगूफा ||
बच्चे करते बात , अरे फिर आया फूफा ||....( २ )
नवनीत चौधरी विदेह
२३/११/२०१९